कैंपा कोला देखते ही देखते लोगों का फेवरेट हो गया और भारतीय मार्केट में टॉप पर पहुंच गया.फिर से लोट आया हे भारत में कैम्पा कोला भारत के मार्किट का बना हे लीडर
‘द ग्रेट इंडियन टेस्ट’… 70-80 के दशक में ये स्लोगन देश के लोगों की जुबां पर था.
हो भी क्यों न, आखिर ये भारत के सबसे पुराने देशी कोला ब्रांड Campa Cola से जो जुड़ा हुआ है. इस दौरान बर्थडे पार्टी हो या फिर मैरिज पार्टी, कोई राजनीतिक सभा हो या दोस्तों यारों के साथ मस्ती… हर जगह इसका इस्तेमाल देखने को मिलता था. हालांकि, 90 के दशक में ये धीमे-धीमे बाजार से गायब हो गया. Also Read – महाशिवरात्रि पूजा विधि, शिवपुराण के अनुसार पूजा में रखें इन बातों का ध्यान
अब एक बार फिर कैंपा कोला की वापसी हो गई है और इसे फिर से मार्केट लीडर बनाने का जिम्मा लिया है एशिया के सबसे अमीर इंसान मुकेश अंबानी ने… इसका सीधा मुकाबला पेप्सी, स्प्राइट और कोका-कोला से होगा. आइए जानते हैं इसकी शुरुआत, अंत और फिर वापसी की पूरी कहानी!
भारतीय अरबपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी का रिलायंस ग्रुप इस गर्मी में देश के लोगों की प्यास देशी कोला ब्रांड से बुझाने को तैयार है.Also Read- इन एक्ट्रेसेस को मिला साथ में सोने का Offer जानिए पूरा सच।
कोला मार्केट में लंबे समय से धाक जमाए पेप्सी, कोका-कोला और स्प्राइट जैसे ब्रांड को इससे कड़ी टक्कर मिलने वाली है.
ये देशी ब्रांड बीते साल ही अगस्त में 22 करोड़ रुपये की डील के साथ मुकेश अंबानी के पोर्टफोलियो में शामिल हुआ था और अब इसके तीन फ्लेवर लॉन्च कर दिए गए हैं. इसे सोडा कोला, लेमन और ऑरेंज फ्लेवर में बाजार पेश किया गया है.
Campa Cola का पुराना इतिहास
भारत में Campa Cola की शुरुआत की बात करें तो इसका इतिहास करीब 50 साल पुराना है.
देश में कोला ब्रांड के नाम पर कोका-कोला का दबदबा हुआ करता था. 1949 में भारत में प्रवेश करने वाला कोका-कोला 1970 के दशक तक देश में सबसे लोकप्रिय शीतल पेय ब्रांड के तौर पर काबिज रहा था.
खास बात ये है कि Coca Cola का भारतीय कारोबार मुंबई से प्योर ड्रिक ग्रुप ही संभालता था. प्योर ड्रिंक्स ग्रुप 1949 से 1970 के दशक तक भारत में कोका-कोला का एकमात्र डिस्ट्रीब्यूटर और बोटलर था.

मार्केट लीडर Coca Cola ने कैसे कहा ‘टाटा’?
1949 से 1977 तक देश में कोका-कोला मार्केट लीडर बना रहा.
फिर साल 1977 में इमरजेंसी के बाद चुनाव हुए और जनता पार्टी की सरकार बनी. तब सूचना एक प्रसारण मंत्रालय की कमान जार्ज फर्नांडिस को सौंपी गई थी और बाद में उन्हें उद्योग मंत्रालय का प्रभार भी दिया गया था. बस ये देश में देशी कैंपा कोला ब्रांड के आगाज की शुरुआत थी.
दरअसल, जॉर्ज फर्नांडिस ने कार्यभार संभालने के साथ ही देश में मौजूद सभी विदेशी कंपनियों को नोटिस जारी करते हुए उनके लिए 1973 में हुए FERA संशोधन का पालन करना अनिवार्य कर दिया था.
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