अगर न देते एकलव्य दक्षिणा में अपना अंगूठा ?

वैसे तो महाभारत बहुत सारी घटनाओं का संग्रह है । इनमें से कुछ घटनाएं ऐसी है जो समाज में बहुत प्रचलित है। इन प्रचलित घटनाओं में कुछ ऐसी घटनाएं जिन्हें

आज भी समय-समय पर प्रसंगवश याद किया जाता है।

जैसे एकलव्य से जुड़ी एक घटना हालांकि और भी ऐसी घटनाएं है जिन्हें यहां लिखा जा सकता था। Also Read-World Ocean Day 2021 क्यों मनाया जाता है क्या है सच ?

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 एकलव्य से जुडी घटना क्या है ?

एकलव्य से जुडी एक घटनाएकलव्य भगवान श्री कृष्ण के पितृव्य (चाचा) के पुत्र थे 

जिनको बाल अवस्था में ही वनवासी भील राज निषादराज को सौंप दिया गया था।

महाभारत काल में प्रयाग (इलाहाबाद) के तटवर्ती प्रदेश में सुदूर

तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य निषादराज हिरण्यधनु का था।

गंगा के तट पर अवस्थित श्रृंगवेरपुर उसकी सुदृढ़ राजधानी थी। Also Read-क्यों मनाते है लोग साइकिल Day ? क्या है सच

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गुरु द्रोणाचार्य ने भीष्म पितामह को वचन दिया था कि वे कौरव वंश के राजकुमारों को ही शिक्षा देंगे

और  अर्जुन को वचन दिया था कि तुमसे बड़ा कोई धनुर्धर नहीं होगा। बस इस वचन की लाज

रखने के कारण ही गुरुद्रोणाचार्य ने एकलव्य का अपना

शिष्य नहीं बनाया और जब उन्हें पता चला कि एकलव्य तो सबकुछ सीख गया है।

तब उन्होंने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में अंगुठा मांग लिया।

द्रोणाचार्य ने जो अर्जुन को महान सिद्ध करने के लिए एकलव्य का अंगूठा कटवा दिया था,

उसी अर्जुन के खिलाफ उन्हें युद्ध लड़ना पड़ा और उसी अर्जुन के पुत्र की हत्या का कारण भी वे ही बने थे

और उसी अर्जुन के साले के हाथों वे मृत्यु को प्राप्त हुए थे।

यदि एकलव्य अपना अंगूठा दक्षिणा में नहीं देते या

गुरु द्रोणाचार्य एकलव्य का अंगूठा दक्षिणा में नहीं मांगते

तो इतिहास में एकलव्य का नाम नहीं होता।

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